नवाचार / भोपाल का नक्षत्र वन: सकारात्मक ऊर्जा के लिए रोपे 48 प्रजाति के पौधे, इस अहसास को जीने रोजाना पहुंच रहे 500 से अधिक लोग

पेड़-पौधे हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। इसलिए उनके संपर्क में आते ही सुखद एहसास होने लगता है। इसे वैज्ञानिक, ज्योतिषी और आयुर्वेद की जानकारियों के आधार पर वन विभाग ने लहारपुर में एक नक्षत्र वन तैयार किया है। इसका उद्देश्य पौधों के महत्व के बारे में लोगों को समझाना है।



नक्षत्र वन को सकारात्मक ऊर्जा के केंद्र के रूप में बनाया है। यहां नक्षत्र, राशि और ग्रहों के आधार पर 48 तरह के पौधे रोपे गए हैं। प्रत्येक पौधों के पास उससे संबंधित एक पट्टिका लगाई गई है, जिसमें राशि, ग्रह व नक्षत्र से संबंधित पौधे और उसके प्रभाव की जानकारी लिखी है। इनके बीच से रास्ते बनाए गए हैं, ताकि लोग अपने राशि, नक्षत्र और ग्रहों के आधार पर पौधे के संपर्क में आ सकें। यहां रोजाना 500 से अधिक लोग आने लगे हैं।


नौ ग्रहों के अनुरूप यहां खास पौधे
सूर्य (अकोन, एकवन), चन्द्रमा (पलास), मंगल (खैर), बुध (चिरचिरी), गुरु (पीपल), शुक्र (गूलर), शनि (शमी), राहु (दुर्वा), और केतु (कुश)।


बारह राशि के लिए निर्धारित पेड़-पौधे
मेष (आंवला), वृष (जामुन), मिथुन (शीशम), कर्क (नागकेश्वर), सिंह (पलास), कन्या (रिट्ठा), तुला (अजरुन), वृश्चिक (भालसरी), धनु (जलवेतस), मकर (अकोन), कुंभ (कदम्ब), मीन
(नीम)।


27 नक्षत्रों के लिए विशेष पौधे
अश्विनी (कोचिला), भरणी (आंवला), कृतिका (गुल्लड़), रोहिणी (जामुन), मृगशिर (खैर), आद्रा (शीशम), पुनर्वसु (बांस), पुष्य (पीपल), आश्लेषा (नागकेसर), मघा (बट), पूर्वाफाल्गुनी (पलास), उत्तराफाल्गुनी (पाकड़), हस्त (रीठा), चित्रा (बेल), स्वाति (अजरुन), विशाखा (कटैया), अनुराधा (भालसरी), ज्येष्ठा (चीर), मूल (शाल), पूर्वाषाढ़ा (अशोक), उत्तराषाढ़ (कटहल),श्रवण (अकौन), धनिष्ठा (शमी), शतभिषा (कदम्ब), पूर्व भाद्रपद (आम), उत्तर भाद्रपद (नीम), रेवती (महुआ)।